अर्द्धनारीश्वर |
अर्द्धनारीश्वर लेखक के बारे में
छायावादोत्तर हिन्दी साहित्य के दौर में दिनकर सर्वाधिक प्रभावी रचनाकार रहे हैं। वे मूलतः राष्ट्रीय चेतना के कवियों की श्रेणी में आते हैं। काव्य चिंतन, संस्कृति चिंतन, भाषा चिंतन, समाज चिंतन आदि उनके चिंतनशील व्यक्तित्व के अंग थे। प्रेम, सौंदर्य, युद्ध और शांति जैसे विषयों पर उन्होंने अपनी रचनाओं में विचार किया है। स्त्री और पुरुष तथा उनके संबंधों की उन्होंने तात्त्विक तथा समाजशास्त्रीय विवेचना भी की है।
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अर्द्धनारीश्वर पाठ का सारांश
‘अर्धनारीश्वर’ में दिनकर ने नर एवं नारी दोनों को एक-दूसरे का पूरक कहा है। अर्धनारीश्वर शंकर और पार्वती का कल्पित रूप है। यह कल्पना इसलिए की गई होगी कि शिव और शक्ति के बीच पूर्ण समन्वय दिखाया जा सके। इस परिकल्पना से यह भी सिद्ध होता है कि नर-नारी पूर्णतया समान हैं। दोनों में एक-दूसरे के गुणों की उपस्थिति उनका सार्वत्रिक उन्नयन ही करती है। दिनकर स्त्री के प्रति अपने पूर्ववती चिंतकों रवीन्द्रनाथ टैगोर, प्रसाद और प्रेमचंद के विचारों से असहमति प्रकट करते हैं, उनकी नारी के प्रति अतिशय कोमलतावादी, रूमानी दृष्टि का विरोध करते हैं। टैगोर आदि का मानना था कि स्त्री को जीवन के संघर्षों आदि से दूर रहना चाहिए। पौरुष पुरुषों के लिए है, स्त्रियों के लिए नहीं। दिनकर इस निबंध में स्त्री के प्रति ऐसे उपेक्षापूर्ण, लिजलिजे और पुरुषवर्चस्ववादी चिंतन से असंतुष्ट हैं। वे इस निष्कर्ष की तरफ बढ़ते हैं कि प्रत्येक नर के अंदर नारी का गुण होता है, जो उसे किसी कार्य के निष्पादन में रचनात्मक आधार प्रदान कर सकता है, परंतु पुरुष स्त्रैण कहे जाने के भय से, उसे दबाये रखता है। इसी तरह प्रत्येक स्त्री में पुरुष तत्त्व होता है जो उसे सिर्फ कोमल शरीर वाली, पुरुष को आनंद देने वाली रचना, घर की दीवारों तक सिमटे रहने वाली मानसिकता आदि से परे एक सक्रिय विचार और ऊर्जा से संपन्न व्यक्तित्व बनाती है। वह स्त्री के लिए वर्जित क्रियाओं में भी उसी पुरुष तत्त्व के आधार पर प्रवेश कर सकती है और उसमें रचनात्मक योगदान दे सकती है। इस प्रकार दिनकर जी ने उक्त निबंध में पूरी भारतीय सांस्कृतिक चेतना का स्त्री-संदर्भ में पुनर्पाठ किया है और यह बताने की कोशिश की है कि भारत के राष्ट्रीय चरित्र का वास्तविक रूप स्त्री-पुरुष के सहअस्तित्व और सम्मान से ही संभव है।
अर्द्धनारीश्वर VVI SUBJECTIVE QUESTIONS
Q.1. ” यदि संधि की वार्ता कुंती और गांधारी के बीच हुई होती, तो बहुत संभव था की महाभारत न मचता “| लेखक के इस कथन से आप सहमत हैँ ? अपना पक्ष रखें |
उत्तर- कुंती और गांधारी दोनों स्त्रियाँ थी | दिनकर जी के विचार से स्त्री-तत्व सर्जनात्मक होता है | वह ध्वंस, विनाश, युद्ध जैसी पुरुषवादी गतिविधोंयों के समानांतर सिर्जन, निर्माण, शांति और प्रेम का आधारभूत तत्व है | अतः महाभारत का युद्ध, दो पुरुषों – कृष्ण और दुर्योधन की संधि वार्ता के चलते हुआ, की जगह यदि यह संधि वार्ता उक्त दोनों स्त्रियों के बीच होती हो तो संभव था की महाभारत नहीं होता | स्त्री-तत्व, जो शांति, सहिष्णुता, क्षमा, दया की भावनाओं से संवलित होता है, ऐसे विनाशक कृत्य को स्वीकार नहीं करता |
Q.2. रवीन्द्रनाथ, प्रशाद और प्रेमचंद के चिंतन से दिनकर क्यों असंतुष्ट हैँ ?
उत्तर- रवीन्द्रनाथ और प्रशाद ने नारी के प्रति अतिशय कोमलतावादी तथा रूमानी धारणा प्रस्तुत की है | उन्होंने यह जोड़ देकर कहा की नारी नर के जीवन मे प्रेम, विश्वास, सौन्दर्य, लालित्य की वाहिका है | जीवन के संघर्षों आदि से उसे दूर रहना चाहिए | पौरुष पुरुषों के लिए है, स्त्रियों के लिए नहीं | जबकी प्रेमचंद भी मानते थे की पुरुष मे स्त्री के गुण आने से वह महान होता है, लेकिन स्त्री मे पुरुष के गुण आने से वह भ्रष्ट हो जाती है | अतः उक्त चिंतकों मे स्त्री के प्रति एक उपेक्षापूर्ण, लिजलिजी और पुरुषमानसिकता को देखकर ही दिनकर उनके चिंतन से असंतुष्ट है |
Q.3. प्रवृतिमार्ग और निर्वृत्तिमार्ग क्या है ?
उत्तर- प्रवृतिमार्ग :- जिस मार्ग के तहत पुरुष स्त्री के प्रति आत्यंतिक रूप से आकर्षित हुआ क्योंकि वह आनंद का भोग चाहता है, और उसके अनुसार स्त्री आनंद की खान होती है | यह दैहिक भोगवाद ही है |
निर्वृत्तिमार्ग :- जिस मार्ग के तहत स्त्री को पुरुष की तथाकथित परमार्थिक उन्नति मे बाधक मानकर जादूगरणी, नागिन आदि विशेषणों से संबंधित कर हेय माना गया और पुरुषों द्वारा उसे परे धकेल दिया गया |
Q.4. बुद्ध ने आनंद से क्या कहा ?
उत्तर- बुद्ध ने आनंद से कहा की ‘ मैंने जो धर्म चलाया था वह पाँच सहर्ष वर्ष चलने वाला था, किन्तु अब वह केवल 500 वर्ष चलेगा क्योंकि मैंने इसमे नारियों को भिक्षुणी होने का अधिकार दे दिया है | दरअसल बुद्ध भी स्त्री के प्रति एक प्रतिक्रियावादी दृष्टि ही यहाँ प्रकट करते हैँ | क्योंकि तथाकथित धार्मिक संस्था के पाटन मे वे स्त्रियों को दोषी बता रहे हैँ, जबकी उसी संस्था के पुरुषों की लोभ और कामवृत्ति के पक्ष को वे दृष्टिपटल पर नहीं रखते |
Q.5. स्त्री को अहेरिन, नागिन और जादूगरणी कहने के पीछे क्या मंशा होती है, क्या ऐसा कहना उचित है ?
उत्तर- ऐसा कहने के पीछे पुरुष-अहंवाद की विचारधारा होती है | हमारे तमाम महान संतों और कवियों ने नारी के प्रति संकीर्णतावादी नजरिया हीं रखा है | पुरुष की कामवृति को श्रेष्ठ बताकर स्त्री की इसी वृति को हेय माना गया है | इसलिए उसे अहेररिन, नागिन और जादूगरणी और कहीं-कहीं डायन और चुड़ैल संभोधन भी दिए गए हैँ | स्त्री को ऐसा कहना सर्वथा अनुचित है | क्योंकि नाग और जादूगर के गुण तो नर मे ही ज्यादा होते हैँ तथा आखेट या अहेर की प्रवृत्ति भी नर से हीं प्रखर होती है।
अर्द्धनारीश्वर Objective Question
1. रामधारी सिंह दिनकर का जन्म कब हुआ था?
(क) 23 सितंबर, 1908
(ख) 23 अक्टूबर, 1908
(ग) 23 नवंबर, 1908
(घ) 23 दिसंबर 1908
उत्तर – 23 सितंबर, 1908
2. रामधारी सिंह दिनकर का निधन कब हुआ था?
(क) 24 अप्रैल, 1974
(ख) 25 अप्रैल, 1975
(ग) 26 अप्रैल, 1976
(घ) 27 अप्रैल, 1977
उत्तर – 24 अप्रैल, 1974
3. दिनकर का जन्म कहाँ हुआ था?
(क) शेखपुरा, मुंगेर
(ख) सिमरिया, बेगूसराय
(ग) लहेरियासराय, दरभंगाना
(घ) दानापुर, पटना
उत्तर-सिमरिया, बेगूसराय
4. दिनकर की पहली कविता कब प्रकाशित हुई?
(क) 1920
(ख) 1922
(ग) 1925
(घ) 1928
उत्तर- 1925
5. दिनकर की पहली कविता पुस्तक कौन थी?
(क) कुरुक्षेत्र
(ख) रश्मिरथी
(ग) प्रणभंग
(घ) परशुराम की प्रतीक्षा
उत्तर -कुरुक्षेत्र
6. ‘संस्कृति के चार अध्याय’ के लेखक कौन हैं ?
(क) रामधारी सिंह दिनकर
(ख) रामवृक्ष बेनीपुरी
(ग) जानकी वल्लभ शास्त्री
(घ) हरिवंश राय बच्चन
उत्तर – रामधारी सिंह दिनकर
7. अपनी किस कृति के लिए दिनकर को ज्ञानपीठ पुरस्कार मिला?
(क) कुरुक्षेत्र
(ख) रश्मिरथी
(ग) परशुराम की प्रतीक्षा
(घ) उर्वशी
उत्तर – उर्वशी
8. अर्धनारीश्वर किसका कल्पित रूप है ?
(क) राधा-कृष्ण का
(ख) राम-सीता का
(ग) शिव-पार्वती का
(घ) गणेश-लक्ष्मी का
उतर -शिव-पार्वती का
9. स्त्रीयोचित गुणों वाला पुरुष क्या कहलाता है ?
(क) स्त्रिय
(ख) स्त्रैण
(ग) स्त्रिक
(घ) स्त्रैक
उतर -स्त्रिय
10. नारी की पराधीनता कब आरंभ हुई ?
(क) कृषि के आविष्कार से
(ख) भाषा के आविष्कार से
(ग) पहिये के आविष्कार से
(घ) अग्नि के आविष्कार से
उतर -कृषि के आविष्कार से
11. ‘अर्धनारीश्वर’ पाठ के लेखक कौन हैं?
(क) जे. कृष्णमूर्ति
(ख) जयप्रकाश नारायण शाह
(ग) बालकृष्ण भट्ट
(घ) रामधारी सिंह दिनकर
उतर -रामधारी सिंह दिनकर
12. सभ्यता का पहला सोपान क्या था?
(क) पहिये की खोज
(ख) आग की खोज ‘
(ग) कृषि का विकास
(घ) भाषा की खोज
उतर -कृषि का विकाश
13. ‘बापू, मेरी माँ’ पुस्तक किसने लिखी है ?
(क) बापू की नतिनी
(ख) बापू की पोती
(ग) बापू का नाती
(घ) बापू का पोता
उतर -बापू की पोती
14. बुद्ध का चलाया धर्म कितने सौ साल चलनेवाला था?
(क) चार सौ साल
(ख) पाँच सौ साल
(ग) छह सौ साल
(घ) सात सौसाल
उतर -पाँच सौ साल
15. इनमें से किसके चिंतन से दिनकर असंतुष्ट हैं ?
(क) रवींद्रनाथ
(ख) प्रसाद
(ग) प्रेमचंद
(घ) इन तीनों के
उतर -इन तीनों के
THANKS SIR
Aanand jacker
Hi sir my name is Dharmendra kumar
Hi sir my name is dharmendra kumar sir aap youtube education galaxy par padh kar bahut maja aata hai …..thank you sir god bless you
Thanks for supporting
Sir aap sattik notes kab jari kijiyega sir
October me
Thank you so much guru ji