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नाखून क्यों बढ़ते है VVI Questions part – 02

नाखून क्यों बढ़ते है VVI Questions part – 02

 

Q.1. लेखक द्वरा नाखूनो को अस्त्र के रूप में देखना कहाँ तक संगत है ?

उत्तर – लेखक द्वरा नाखूनो को अस्त्र के रूप मे देखना उचित है ,क्योंकि आदिमकाल का मुख्य अस्त्र नाखून ही था | दाँत भी अस्त्र के रूप में था परंतु नाखून के बाद | उस मे वे अपने प्रतिद्वंद्वियों को नाखून से ही पछाड़ता था आज भी जब मनुष्य अकेले किसी से लडेगा और उसके पास कोई अस्त्र नहीं होगा तो वह सर्वप्रथम इसी का प्रयोग करेगा।

 

Q.2. मनुष्य बार-बार नाखून को क्यों काटता है ?

उत्तर – मनुष्य बार-बार नाखून को इसलिए  काटता है क्योंकि वे रोज बढ़ते हैँ | वे रोज इसलिए बढ़ते हैँ क्योंकि वे अंधे हैँ , नहीं जानते की मनुष्य को इससे कोटी-कोटी गुना शक्तिशाली अस्त्र मिल चुका है।

 

Q.3. नख बढ़ाना और उन्हे काटना कैसे मनुष्य कि सहजात वृत्तियाँ है  ? इसका क्या अभिप्राय है ?

उत्तर – नाखून बढ़ाना और काटना मनुष्य की सहजात वृत्ति है | नख बढ़ाना पशुत्व का प्रमाण है और उन्हे काटना मनुष्यता की निशानी है | लेखक का अभिप्राय है की पशुत्व के चिन्ह मनुष्य के भीतर रह गए हैँ , पर वह पशुत्व को छोड़ चुका है | पशु बनकर वह आगे बढ़ नहीं सकता इसलिए वह इसे काट देता है।

 

Q.4. देश की आजादी क लिए प्रयुक्त किन शब्दों की अर्थ मीमांसा लेखक करता है और लेखक का निष्कर्ष क्या है ?

उत्तर – लेखक देश की आजादी के लिए प्रयुक्त ‘ इण्डिपेण्डेन्स ‘ शब्द की अर्थ मीमांसा करते हैँ | लेखक कहते हैँ की इण्डिपेण्डेन्स शब्द का अर्थ है अनधीनता, पर ‘स्वाधीनता’ शब्द का अर्थ है अपने ही अधीन रहना | वे कहते हैँ की हम भारतवासी मे आजादी के नामकरण के लिए जीतने भी शब्द लिए उसमें स्व का बंधन अवश्य है | वे कहते हैँ की हमारी समूची परंपरा ही अनजाने मे, हमारे भाषा के द्वारा प्रकट होती रही है।

 

Q.5. लेखक ने किस प्रसंग मे कहा है की बंदरिया मनुष्य का आदर्श नहीं बन सकती ? लेखक का अभिप्राय स्पष्ट करें |

उत्तर – लेखक ने संस्कृति की विशेषता बताने के प्रसंग मे कहा है की यह हमारे दीर्घकालीन संस्कारों का फल है की हम अपने-आप पर लगाए हुए बंधन को नहीं छोड़ सकते, क्योंकि यह हमारी संस्कृति की बड़ी भारी विशेषता है | परंतु पुराने का ‘ मोह ‘ सब जगह वांछनीय है | मरे हुए बच्चे को गोद मे दबाए रहने वाली ‘ बंदरिया ‘ मनुष्य का आदर्श नहीं बन सकती | लेखक का अभिप्राय यह है की जो चीजें छोड़ देने मे भलाई है, उसे छोड़ देना चाहिए।

 

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