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भारत से हम क्या सीखें VVI Questions part – 03

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भारत से हम क्या सीखें VVI Questions part – 03

 

Q.1. ‘ समस्त भूमंडल में सर्वविद् सम्पदा और प्राकृतिक सौंदर्य से परिपूर्ण देश भारत है ‘। लेखक ने ऐसा क्यों कहा है ?

उत्तर – इसलिए की यहाँ सभी तरह के लोगों की जिज्ञासा की शांति के लिए हर चीज़ मौजूद है | लेखक जो कुछ भी देखना चाहते हैं वह उसे भारत में मिल जाता है।

 

Q.2. लेखक के दृष्टि में सच्चे भारत का दर्शन कहाँ हो सकता है और क्यों ?

उत्तर – भारत के गाँव में , क्योंकि गाँव में प्राकृतिक सुषमा विराजमान है | शहर में तो प्रकृति का विनाश हो गया है और वहाँ चारों तरफ़ मानव निर्मित का साम्राज्य है | गाँव में ही कृष्ण के छवि के साथ-साथ सुबह की गुनगुनाहट और शाम की लोरी व्याप्त है।

 

Q.3. भारत को पहचान सकने वाले दृष्टि की आवश्यकता किनके लिए वांछनीय है और क्यों ?

उत्तर – यूरोपियनों के लिए, क्योंकि उनलोगों ने भारत की प्राकृतिक सुषमा और आर्थिक सम्पदा को भोगने और लूटने की वस्तु समझा और उसे बर्बाद किया।

 

Q.4. लेखक ने किन विशेष क्षेत्रों में अभिरूचि रखने वालों के लिए भारत का प्रत्यक्ष ज्ञान आवश्यक माना ?

उत्तर – लेखक ने ज्ञान-विज्ञान के क्षेत्र में, भू-विज्ञान के क्षेत्र में, वनस्पति विज्ञान के क्षेत्र में, जीव विज्ञान के क्षेत्र में, मानव विज्ञान के क्षेत्र में, पुरातत्व के क्षेत्र में, भाषा विज्ञान के क्षेत्र में, साहित्य के क्षेत्र में, इतिहास आदि के क्षेत्रों में अभिरूचि रखने वालों के लिए भारत का प्रत्यक्ष ज्ञान आवश्यक बताया।

 

Q.5. लेखक ने नीतिकथाओं के क्षेत्र में किस तरह भारतीय अवदान को रेखांकित किया ?

उत्तर – लेखक ने नीतिकथाओं के क्षेत्र में भारतीय अवदान को नवजीवन के संचार के रूप में रेखांकित किया।

 

Q.6. भारत की ग्राम पंचायत को किस अर्थ में और किनके लिए लेखक ने महत्व्वपूर्ण बतलाया ? स्पष्ट करें |

उत्तर – भारत की ग्राम पंचायत को प्राचीन युग के क़ानून के रूपों के बारे में क़ानून के विद्यार्थी के लिए महत्व्वपूर्ण बताया है | वे कहते हैं की भारत में प्राचीन स्थानीय शासन प्रणाली या पंचायत प्रथा को समझने-समझाने का बहुत बड़ा क्षेत्र विधमान है।

 

Q.7. धर्मों की दृष्टि से भारत का क्या महत्त्व है ?

उत्तर – धर्म की दृष्टि से भारत का स्थान बहुत महत्त्वपूर्ण है | यहाँ धर्म के वास्तविक उदभव, उसके प्राकृतिक विकास तथा उसके अपरिहार्य क्षीयमान रूप का प्रत्यक्ष परिचय मिल सकता है | भारत ब्राह्मण या वैदिक् धर्म की भूमी है, बौद्ध धर्म की यह जन्मभूमि है , पारसियों के धर्म की यह शरणस्थली है | आज भी यहाँ नित्य नए मत-मतांतर प्रकट या विकसित होते रहते हैं।

 

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