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शराबबंदी कानून पर निबंध | बिहार में शराबबंदी कानून पर निबंध | bihar mein sharab bandi kanoon par nibandh | sharab bandi kanoon par nibandh | शराबबंदी कानून पर निबंध Bihar Board

बिहार सरकार ने अप्रैल 2016 बिहार में पूर्णता शराबबंदी कानून लागू कर पूरी दुनिया में चर्चा पाई बिहार राज्य भारत के बीमारू राज्यों की श्रेणी में आता है शिक्षा स्वास्थ्य रोजगार आदि में बिहार काफी पिछड़ा राज रहा है बेरोजगारी और सही शिक्षा के अभाव में बिहार का युवा या तो राज से पलायन करता है या फिर दिशाहीन होकर शराब पीने या अन्य नशा करने की ओर आकृष्ट होता है शराब की लत उसे अपराध करने को विवश करती है नशे का आदी होकर नशे की तृप्ति के लिए चोरी डकैती चिंताई और हत्या जैसे अपराधिक कृत्य कर बैठता है फिर इसी नशे के प्रभाव से उसका चारित्रिक पतन भी होने लगता है आए दिन होने वाली बलात्कार जैसी जघन्य घटनाएं शराब पीने और पीकर मानसिक व चारित्रिक नियंत्रण खो देने का दुष्परिणाम है हमारे समाज की मां बेटियां और बहने ऐसी दुष्ट कृतियों की शिकार होती है हमारा कानून अपराधी को सजा भले दिला दें लेकिन इन माताओं बेटियों और बहनों की छलनी हुई मर्यादा अस्मिता और आत्मा का घाव कभी नहीं भरा जा सकता इसलिए शराब बंदी कानून के माध्यम से वर्तमान बिहार सरकार ने राज्य को बेहतर बनाने के लिए साहसिक कदम उठाया है।

शराब नियमत नहीं है या दूर व्यसन है मीठा जहर है पारिवारिक और सामाजिक के रिश्ते और मूल्यों का विनाश इसी शराब के चलते होता है संभवत इसलिए एक बार महात्मा गांधी ने अपने पत्र यंग इंडिया में लिखा था कि अगर मैं केवल 1 घंटे के लिए भारत का सर्वशक्तिमान शासक बना दिया जाऊं तो पहला काम यह करूंगा कि शराब की सभी दुकानें बिना कोई मुआवजा दिए तुरंत बंद करा दूंगा शराब के सेवन के चलते सड़क दुर्घटनाएं पढ़ाया रोज की होती है और हम जान माल की छाती के साथ देश की मानव संपदा भी अनायास खो बैठते हैं और इस तरह यह हमारी आर्थिक विकास की गति पर भी नकारात्मक प्रभाव डालती है बिहार के अलावा गुजरात आंध्र प्रदेश तमिल नाडु और नागालैंड में भी शराब बंदी कानून लागू है

हेलो की कुछ लोगों का तर्क है कि शराबबंदी कानून एक नकारात्मक निर्णय इससे सरकार को राजस्व की भारी क्षति होती है जिसकी प्रति पूर्ति के लिए सरकार मनमाने कर लगाने की ओर प्रवृत्त होती है तथा सामाजिक और आर्थिक असंतुलन पैदा होता है एक समाज सेविका ने तो यहां तक कहा है कि उनकी जानकारी के अनुसार मुसहर जाति अपने शराब बनाने के परंपरागत तरीके के चलते आर्थिक रूप से आत्मनिर्भर हो रही थी लेकिन इस निर्णय से उनका विनाश हो रहा है और वह बाल विवाह वेश्यावृत्ति के विकल्पों की ओर बढ़ रहे हैं शराब पीने को रोकने से शराब पीने की तलब और बढ़ेगी और इससे सामाजिक और आर्थिक अपराध जैसे काला बाजार तस्करी आदि को भी बल मिलेगा परंतु यह सारे तर्क दरअसल शराब पीने के दर्शन कोही न्यायसंगत ठहराते दिखते हैं शराबबंदी आरंभ में जरूर कुछ लोगों के लिए और सुधा पैदा करेगी लेकिन धीरे-धीरे शराब के प्रति रुझान कम होने लगेगा इससे सशक्त युवा व्यक्तित्व का निर्माण हो सकेगा और उनका उपयोग अन्य आर्थिक उत्पादन की प्रक्रियाओं में हो सकेगा यदि शराब के राजस्व के तर्क पर हम विकसित राज्य का सपना देख रहे हैं तो ऐसा विकास ना हो तो अच्छा है जब सड़क दुर्घटनाओं में हमारी बच्चे बेमौत मारे जा रहे हो औरतों की मर्यादा तार-तार हो रही हो तब विकास का यह स्वप्न बेईमानी है इसलिए शराब बंदी कानून एक दूरदर्शी कानून है जिसकी व्यापक स्वीकृति में हम सभी को सहभागी बनाना चाहिए।

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