विज्ञान क्या है? विज्ञान एक शक्ति है जो नित नए आविष्कार करती है। यह शक्ति न तो बुरी है और न ही अच्छी। अगर उस शक्ति का अच्छे के लिए उपयोग करते हैं, तो वह अच्छी है। अगर उसका बुरे के लिए उपयोग किया जाए, तो वह बुरी है। विज्ञान मानव की ऐसी बौद्धिक क्षमता है जिसके सहारे वह प्रकृति के रहस्यों का उद्भेदन करता है।
आधुनिक युग विज्ञान का युग है। पंडित जवाहरलाल नेहरू ने कहा था कि आज के युग में गरीब वे देश हैं जिनका देश विज्ञान में गरीब है। आज हमारा देश भी विज्ञान की नई बुलंदियों को छू रहा है। विज्ञान ने अनेक भौतिक सुख सुविधाएँ आविष्कृत कर मानव जीवन को सुखमय बना दिया है।’
आज विज्ञान की मदद से अनेक काम असंभव से संभव हो गए हैं। वायुयान, रेल, मोटरकारों की वजह से आज कहीं भी जाना आसान हो गया है। विज्ञान से मानव ने ध्वनि की गति से भी तेज चलने वाले लड़ाकू विमान बना लिए हैं। विज्ञान सुदूर ग्रहों पर भी रॉकेट उतार रहा है। टेलीफोन, टेलीप्रिंटर, फैक्स, रेडियो, टेलिविजन ने संसार की सभ्यता ही बदल दी है। बड़ी-बड़ी नदियों पर बड़े बड़े पुल विज्ञान से ही संभव हुए। कृषि और स्वास्थ्य के क्षेत्र में भी विज्ञान ने अद्भुत चमत्कार किए हैं। आज कृषि विज्ञान की मदद लेकर अपनी पैदावार बढ़ा रही है। पहले चेचक और हैजा के कारण गाँव के गाँव साफ हो जाया करते थे, परंतु आज मानव ने विज्ञान की मदद से इसका इलाज खोज लिया है। टेस्ट ट्यूबों में बच्चों को पालकर इसने चमत्कारी काम किया है। वैज्ञानिक आविष्कारों के कितने नाम गिनाएँ! हमारी जहाँ भी दृष्टि जाती है, वहाँ विज्ञान खड़ा मिलता है।
अगर विज्ञान अच्छा है तो यह बुरा भी है। आज विज्ञान द्वारा कई विनाशकारी अस्त्र बना लिए गए हैं। इन विनाशकारी अस्त्रों के कारण पृथ्वी कभी भी नष्ट हो सकती है। इसका उदाहरण है, प्रथम विश्वयुद्ध, द्वितीय विश्वयुद्ध तथा अमेरिका वियतनाम युद्ध। इन युद्धों ने मानव समुदाय और धरती को हिला कर रख दिया। विज्ञान से मानव ने हाइड्रोजन वम, परमाणु बम बना लिया है, जिनके एक बार प्रयोग से एक-दो शहर तथा राज्य की हस्ती कभी भी मिट सकती है। इसका उदाहरण हैं—हिरोशिमा और नागासाकी, जिन पर पहली बार परमाणु बम गिराया
गया और वहाँ के लोग काल के मुँह में समा गए। विज्ञान ने हमें प्रदूषण की समस्या भी दी है। लेकिन इन सबके लिए विज्ञान को दोषी नहीं ठहराया जा सकता है। यह तो साधन है, जिसे प्रयोग में लाना मनुष्य पर निर्भर करता है। हम विवेकशील होकर विज्ञान को वरदान सिद्ध कर सकते हैं। विज्ञान तो केवल वरदान है, उसे हम अनैतिक और स्वार्थी लोग ही अभिशाप में बदल देते हैं।