Accounts VVI Questions Part – 01
Q.1. प्राप्ति एवं भुगतान खाते तथा आय वयय में दो अंतर बताइए ?
उत्तर : -प्राप्ति एवं भुगतान खाता तथा आय व्यय खाते में दो अंतर निम्नलिखित है।
प्राप्ति एवं भुगतान खाता – यह एक वास्तविक खाता है। यह नगद लेनदेन का वर्गीकरण सारांश का विवरण है।
आय व्यय खाता – यह एक नाम मात्र का खाता है।यह गैर व्यापारिक संस्थाओं का Revenue खाता है जो लाभ हानि खाते की तरह काम करती है।
Q.2. पूंजी कोष क्या है ?
उत्तर : – पूंजी कोष का अर्थ लाभ न कमाने के उद्देश्य स्थापित संस्थाओं का कोई पूंजी खाता नहीं होता बल्कि ऐसी संस्थाओं की संपत्ति और दायित्व का अंतर पूंजी कोष कहलाता है। इसी स्थिति विवरण में दायित्व पक्ष की ओर दिखाया जाता है। प्रतिवर्ष आए हुए खाते का शेष भी इसी पूंजी कोष में स्थानांतरित किया जाता है।यदि चालू वर्ष में आय का व्यय पर आदिक्य्य तो इसे पूंजी कोष में जोड़ा जाता है और आयोग की वजह से कमी को इस कोष में से घटाया जाता है।
Q.3. साझेदारी के आवश्यक तत्व बताइए?
उत्तर :- साझेदारी के आवश्यक तत्व निम्नलिखित है –
(1) दो या दो से अधिक व्यक्ति – साझेदारी के लिए यह आवश्यक है कि उसमें कम से कम 2 या इससे अधिक व्यक्ति हो।
(2) समझौता – साझेदारी की रचना कराडिया समझौता से होती है। करार साझेदारों के संबंध का आधार होता है।
(3) वैधानिक व्यवसाय – साझेदारी अनुबंध का उद्देश्य व्यवसाय करना होना चाहिए ।
(4) असीमित दायित्व – एकाकी व्यापार की तरह साझेदारी व्यापार के सदस्य का दायित्व असीमित होता है।
Q.4. साझेदारी से क्या आशय है ?
उत्तर :- जब दो या दो से अधिक व्यक्ति मिलकर किसी व्यापार को चलाने उसके अलावा लाभ को आपस में बांटने और अपनी सेवा या पूंजी लगाने के लिए सहमत हो जाते हैं तो ऐसी संस्था को साझेदारी कहा जाता है।
Q.5. साझेदारी संलेख के ना होने की स्थिति में साझेदारी अधिनियम के किन्हीं दो प्रावधानों का उल्लेख करें ।
उत्तर : – साझेदारी संलेख ना होने की स्थिति में साझेदारी अधिनियम के प्रावधान निम्नलिखित है —
(1) लाभ का विभाजन – लाभ हानि विभाजन बराबर बराबर किया जाएगा।
(2) साझेदारों द्वारा द्वारा दिए गए ऋण पर – साझेदारी फर्म को दिए गए ऋण पर 6% की दर से ब्याज दिया जाएगा या यदि किसी साझेदार ने अपने हिस्से की पूंजी से अधिक पूंजी लगा दी तो अतिरिक्त पूंजी पर 6% की दर से ब्याज मिलेगा ।