Biology 12th VVI Questions part – 02 (पर्यावरण के मुद्दे)
Q.1. भोपाल गैस त्रासदी पर संक्षिप्त टिप्पणी लिखिए।
उत्तर – भोपाल गैस त्रासदी (Bhopal Gas Tragedy) – 3 दिसम्बर, 1984 की मध्यरात्रि में भोपाल स्थित यूनियन कार्बाइड कम्पनी के कारखाने के एक संयन्त्र से दुर्घटनावश निकली गैसों के कारण अनेक लोगों की सोते हुए अकारण ही मृत्यु हो गयी तथा बहुत से लोग कई अन्य असाध्य बीमारियों के शिकार हो गये। यह घटना ‘भोपाल गैस त्रासदी’ (Bhopal gas tragedy) के नाम से जानी जाती है। इस कारखाने में मिथाइल आइसो सायनेट (M.I.C.) जैसी विषैली गैस (जिसका उपयोग सीवान नामक कीटनाशक उत्पाद बनाने में किया जाता था) के रिसाव से लगभग 2 हजार व्यक्तियों की जाने गईं तथा हजारों लोग आँख और श्वास के गम्भीर रोगों के शिकार हुए। यह भी अनुमान है कि इस संयन्त्र से निकली गैसों में M.I.C. के साथ एक और बहुत ही विषैली गैस ‘फॉस्जीन’ (phosgene) भी थी।
Q.2. वन संरक्षण तथा चिपको आंदोलन से आप क्या समझते हैं ? संक्षेप में वर्णन कीजिए।
उत्तर – मानव एवं अन्य जीवों के समुचित विकास एवं वृद्धि के लिए वन संरक्षण आवश्यक है। इसके लिए सभी लोगों की भागीदारी होनी चाहिए। अगर वन-क्षेत्र के आस-पास के लोग इसे बचाने के लिए सजग रहेंगे तो वर्तमान पीढ़ी की जरूरत पूरी होगी एवं भविष्य की आवश्यकताओं की पूर्ति की क्षमता भी बनी रहेगी। भारत में वन संरक्षण में लोगों की भागीदारी सदियों से रही है।
चिपको आन्दोलन (Chipko Movement) – चिपको आन्दोलन डॉ० सुन्दरलाल बहुगुणा की अगुवाई में शुरु हुआ। सन् 1974 में हिमालय के गढ़वाल में जय ठेकेदारों द्वारा वृक्षों को काटने की प्रक्रिया आरम्भ हुई तो इन्हें बचाने के लिए स्थानीय महिलाओं ने अदम्य साहस का परिचय दिया। वे वृक्षों से चिपकी रहीं एवं वृक्षों को काटे जाने से रोकने में सफल रहीं। इसी प्रयास ने आन्दोलन का रूप लिया एवं चिपको आन्दोलन के रूप में विश्वविख्यात हुआ।
Q.3. वनोन्मूलन क्या है ? इसके मुख्य कारण लिखिए।
उत्तर – वनोन्मूलन – वन क्षेत्र को वन रहित क्षेत्र में परिवर्तित करने की प्रक्रिया वनोन्मूलन कहलाती है।
वनोन्मूलन के कारण
वनोन्मूलन के प्रमुख कारण निम्नलिखित हैं –
- मानव जनसंख्या का बढ़ना जिससे भवन निर्माण, रेलवे लाइन, सड़कों, इमारतों, शैक्षिक संस्थाओं, उद्योगों आदि को स्थापित करने के लिए भूमि की माँग बढ़ी है।
- दावानल (forest fire) के अवसर बढ़ना। दावानल बड़े वृक्षों के साथ-साथ छोटे पौधों और यहाँ तक कि बीजों और अनेक जन्तुओं को भी भस्म कर देती है।
- मानव क्रियाओं के कारण जलवायु में परिवर्तन के फलस्वरूप सूखा, तूफान, वर्षा आने के कारण वनों का विनाश हुआ है।
- पशुओं के अत्यधिक चारण से, जिससे बड़े पौधों के साथ-साथ छोटे पौधे भी नष्ट हो जाते हैं। तथा मृदा अपरदन भी होता है।
Q.4. रेडियोऐक्टिव अपशिष्ट प्रबन्धन पर टिप्पणी लिखिए।
उत्तर – रेडियोऐक्टिव अपशिष्टों को नष्ट करने के लिए सबसे सरल एवं उचित उपाय यह है कि इन अपशिष्टों को भूमि में लगभग 500 मीटर या और अधिक गहराई में गाड़ दिया जाये परन्तु यह ध्यान रखना आवश्यक है कि वह स्थान जहाँ पर अपशिष्ट को गाड़ा जा रहा हो मानव आबादी से बहुत दूर हो।
परमाणु परीक्षण को तत्काल प्रभाव से रोका जाना चाहिए। यदि आवश्यक हो तो ये परीक्षण भूमि के नीचे गहराई में किये जाने चाहिए।
Q.5. अम्लीय वर्षा क्या है और इसकी क्या हानियाँ है ?
उत्तर – प्राकृतिक ईंधनों के जलने से, अनेक पदार्थों के ऑक्साइड विशेषकर गन्धक, नाइट्रोजन आदि के जल वाष्प के साथ मिलकर अम्ल बना लेते हैं; जैसे
- SO2 से SO3 तथा H2SO4, इसी प्रकार
- नाइट्रोजन के ऑक्साइड (NO2) से HNO3 आदि बन जाते हैं।
जब ये अम्ल अधिक आर्द्रता में जल के साथ वर्षा के रूप में गिरते हैं, इसे अम्लीय वर्षा (acid rain) कहते हैं।
अम्लीय वर्षा से हानियाँ – अम्लीय वर्षा से जल तथा मृदा की अम्लीयता (acidity) बढ़ती है अतः मृदा की उर्वरता (fertility) कम हो जाती है। साथ ही पेड़-पौधों की पत्तियों को हानि पहुँचती है। जिससे प्रकाश संश्लेषण की गति मन्द पड़ जाती है। इस प्रकार अम्लीय वर्षा विभिन्न प्रकार से हमारी सम्पत्ति को नष्ट करती है। उदाहरण के लिए यह-इमारतों, रेल-पटरियों, स्मारकों, ऐतिहासिक इमारतों, विभिन्न पदार्थों से बनी मूर्तियों तथा अन्य सामान को नष्ट करने वाली होती है।
Q.6. पर्यावरणीय प्रदूषण को रोकने के लिए एक व्यक्ति के रूप में आप क्या उपाय करेंगे ?
उत्तर – पर्यावरण प्रदूषण को रोकने के लिए हम एक व्यक्ति के रूप में निम्नलिखित उपाय करेंगे –
- सीसारहित एवं सल्फररहित पेट्रोल के उपयोग के साथ-साथ इंजन से कम-से-कम धुआँ उत्सर्जित हो, इस पर ध्यान रखेंगे।
- बिजली या बैटरी से चालित वाहनों के प्रयोग पर बल देंगे।
- उद्योगों की चिमनी हवा में काफी ऊपर हो एवं इसमें फिल्टर लगा होना चाहिए, इस सन्दर्भ में लोगों के माध्यम से प्रयास करेंगे।
- उद्योगों एवं परिष्करणशालाओं को आबादी से दूर स्थापित करवाने का प्रयास करेंगे।
- वनरोपण के प्रति लोगों को जागरूक एवं प्रोत्साहित करेंगे।
- प्रदूषण से होने वाली बीमारियों तथा हानिकारक प्रभावों के बारे में आम लोगों को जानकारी देंगे।
- जीवाश्म ईंधनों का प्रयोग कम-से-कम करेंगे।
Q.7. घरेलू वाहितमल के विभिन्न घटक क्या हैं ?
उत्तर – घरेलू वाहितमल मुख्य रूप से जैव निम्नीकरणीय कार्बनिक पदार्थ होते हैं जिनका अपघटन आसानी से होता है। इसका परिणाम सुपोषण होता है। घरेलू वाहितमल के विभिन्न घटक निम्नलिखित हैं –
- निलंबित ठोस – जैसे- बालू, गाद और चिकनी मिट्टी।
- कोलॉइडी पदार्थ – जैसे- मल पदार्थ, जीवाणु, वस्त्र और कागज के रेशे।
- विलीन पदार्थ जैसे – पोषक पदार्थ, नाइट्रेट, अमोनिया, फॉस्फेट, सोडियम, कैल्शियम आदि।