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Hindi Sent Up Exam 2023 Question Answer Key Objective & Subjective | Sent Up Exam 2022-23 Question Answer Key Hindi | Bseb Sent UP Exam Question Answer Key

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Hindi Sent Up Exam 2023 Question Answer Key Objective & Subjective

बिहार विद्यालय परीक्षा समिति के द्वारा सेंट अप परीक्षा 2022 अर्थात जो भी छात्र एवं छात्राएं 2023 में फाइनल परीक्षा देंगे बिहार बोर्ड से कक्षा बारहवीं का उन सभी छात्र एवं छात्राओं का भी सेंट अप परीक्षा चल रहा है यह परीक्षा 11 अक्टूबर से लेकर 21 अक्टूबर तक चलने वाला है बिहार के सभी कॉलेज में यह परीक्षा अलग-अलग दिन अलग-अलग सब्जेक्ट का है लेकिन आप सभी दोस्तों को बता दें कि सभी कॉलेजों में क्वेश्चन एक ही रहेगा दोस्तों आज के इस आर्टिकल में हम आप सभी को हिंदी का ऑब्जेक्टिव तथा सब्जेक्टिव क्वेश्चन तथा आंसर देने वाले हैं आप सब इस पोस्ट को पूरा अंत तक जरूर पढ़ें।

Sent UP Exam 2022-23 Hindi Question Answer Download PDF

दोस्तों इस बार भी 100 ऑब्जेक्टिव दिया गया है जिसमें कि 50 व्यक्ति बनाना है तो दोस्तों आप लोग हिंदी के साथ-साथ अन्य सभी सब्जेक्ट का भी क्वेश्चन पेपर को डाउनलोड कर सकते हैं जिसका लिंक नीचे दिया गया है।

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1 11 21 A
2 12 22 B
3 13 A 23
4 D 14 C 24 D
5 A 15 C 25 A
6 B 16 D 26 B
7 C 17 B 27 C
8 18 B 28
9 19 C 29
10 20 D 30

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Sent Up Exam Answers Key 2023  Question Paper [Science]

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31 41 C 51
32 C 42 A 52
33 D 43 53
34 44 54
35 B 45 55
36 46 56
37 D 47 57 D
38 A 48 D 58 A
39 49 59 B
40 50 60 C
61 C 71 81 D
62 A 72 C 82 A
63 A 73 D 83 B
64 C 74 A 84
65 D 75 C 85 D
66 A 76 D 86 B
67 B 77 A 87 C
68 C 78 D 88 D
69 C 79 B 89 A
70 A 80 C 90 B
91 C 96 B
92 97 A
93 A 98 B
94 B 99 D
95 100 A
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निबंध लिखें 

वृक्षारोपण

वृक्षारोपण का मानव के लिए अर्थ है प्राकृतिक, पर्यावरण का संतुलन बनाए रखने के लिए अधिक से अधिक नए वृक्षों का लगाया जाना। वृक्ष काटने से वायुमंडल की शुद्धता कम होने लगती है। वृक्ष काटने से वायुमंडल में ऑक्सीजन एवं ओजोन की मात्रा कम होने लगती है। वृक्ष काटने से वर्षा कम होने लगती है। वृक्ष काटने से मरुभूमि का प्रसार होने लगता है। मनुष्य के जीवन पर संकट खड़ा हो जाता है। अतः वृक्षारोपण से हम प्राकृतिक संतुलन कायम रख सकते हैं। वृक्षारोपण से हम प्रदूषण रोक सकते हैं।

वृक्ष काटने से हानि-ही-हानि होती है। दुष्ट मानव समाज है कि पेड़ काटकर, व्यापारिक लाभ कमाकर ही संतुष्ट हो पाता है। जंगली जातियाँ बड़ी संख्या में पेड़ काटने के पीछे पड़ी है। ये जंगली जातियाँ करोड़ों टन लकड़ियाँ जलावन के लिए काटती हैं और जंगल को अपना खेत कहती हैं। एक दिन इन जंगली मनुष्यों की प्राण रक्षा के चक्कर में राष्ट्र की सभ्य जातियाँ पिस जाएँगी। वायुमंडल प्रदूषित हो जाएगा। वृष्टि कम होगी। मरुभूमि का प्रसार होगा। मानव जाति एवं पशु जाति के जीवन पर संकट के बादल मंडराने लगेंगे।

उपसंहारतः वृक्षों को हमें सम्मान करना चाहिए। हमें अधिकाधिक वृक्षारोपण करना चाहिए। जो व्यक्ति वृक्ष काटता है और नदियों को दूषित करता है, वह आत्मघात करता है। 

Q.  उषा शीर्षक कविता में आराम से लेकर अंत तक की टीम भी योजना में गति का चित्रण कैसे हो सका स्पष्ट कीजिए  

उषाकालीन आकाश की सुषमा देखते ही बनती है। प्रातः का नभ बहुत नीले शंख जैसा दिव्य और प्रांजल था। भोर का नभ राख से लीपा हुआ गीले चौके (रसोई) के समान पवित्र था। भोर का नभ वैसा था, जैसे बहुत काली सिल (सिलौटी) जरा से लाल केसर से धुली हुई हो। लालिमा छा गई थी। स्लेट पर लाल खड़िया चौक कोई मल दे तो जैसा रंग उभरेगा वैसा नभ का रंग था। नीले जल में किसी आदमी की हिलती हो देह-वैसा नभ था। उषा का जादू जब टूटता है, तो सूर्योदय हो जाता है। निष्कर्षतः उषा के सार्थक प्रांजल, दिव्य और पारदर्शी

बिम्बों का निर्माण कवि शमशेर ने किया है। कविता बिम्बों और विशेषणों से सार्थक बन गई

Q.  पुत्र वियोग का शीर्षक कविता का भावार्थ प्रकट करें। 

राष्ट्रीय काव्यधारा की कवयित्री सुभद्रा कुमारी चौहान हिंदी की विशिष्ट कवयित्री हैं। ‘पुत्र-वियोग’ शीर्षक कविता में पुत्र के निधन के बाद माँ के हृदय में उठनेवाली शोक भावनाओं को कवयित्री ने अभिव्यक्ति दी है। सारे संसार में उल्लास की लहर दौड़ रही है। सारी दिशाएँ हँसती नजर आती हैं। लेकिन मृत्यु के बाद कवयित्री माँ का खिलौना उसका पुत्र वापस नहीं आया। माँ ने उसे कभी गोद से नहीं उतारा कि कहीं उसे ठंढक न लग जाए। जब कभी भी वह पुत्र माँ कहकर पुकार देता था तब वह दौड़कर उसके पास आ जाती थी। उसे थपकी दे देकर सुलाया करती थी। उसके मधुर संगीत की लोरियाँ गाती थी। उसके चेहरे पर तनिक भी मलिनता का शोक देखकर कवयित्री माँ रात भर सो नहीं पाती थी। पत्थरों के देवता को वह देवता मान कर पुत्र कल्याण की आकांक्षा-कामना करती थी। नारियल, दूध और बताशे भगवानको अर्पित करती थी। कहीं सिर झुकाकर देवता को प्रणाम करती थी। बेटे की मृत्यु के बाद उसके प्राण कोई लौटा नहीं पाया। कवयित्री माँ हारकर बैठ गयी। उसका शिशु बालक इस धरती से उठ गया। कवयित्री माँ को पल भर की शांति नहीं मिल रही है। उसके प्राण विकल हैं, परेशान हैं। माँ का धन उसका बेटा आज खो गया है। उसे वह अब कभी पा नहीं सकेगी। माँ का मन पुत्र के निधन पर हमेशा रोता रहता है। अब यदि एक बार वह पुत्र जीवित हो जाता तो उसे मन से लगाकर प्यार करती। उसके सिर को सहला-सहला कर उसे समझाती । क्या समझाती? उसे समझाती कि ऐ मेरे प्यारे बेटे! तुम कभी माँ को छोड़कर न जाना। संसार में बेटा को खोकर माँ का जीवन जीना आसान काम नहीं है। पारिवारिक जीवन में भाई बहन को भूल जा सकता है। पिता पुत्र को भूल जा सकता है, परंतु रात-दिन की साथिन माँ अपने बेटे को कभी भूल नहीं पाती है। वह अपने मन को नहीं समझा पाती है। पाठक के हृदय में करुणा का संचार करने में ‘पुत्र-वियोग’ शीर्षक कविता सफल है। यह एक श्रेष्ठ शोकगीति है। सरल-सहज शब्दों में इसे श्रेष्ठ शोकगीति कहा जा सकता है।

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