1. निम्नलिखित में से किसी एक विषय पर निबंध लिखिए :-
(i) करोनाः महामारी
(ii) शराब बंदी
(iii) प्रदूषण की समस्या
(iv) संचार क्रांति
(v) इंटरनेट और छात्र
(vi) नारी शिक्षा
(i) कोरोना महामारी
कोरोनावायरस यह एक ऐसा संक्रमण है जिससे व्यक्ति को सर्दी-जुकाम और सांस लेने जैसी समस्या हो सकती है। यदि किसी व्यक्ति को कोरोना
हुआ है तो वायरस उस व्यक्ति से दूसरे व्यक्ति में बहुत है तो वायरस उस व्यक्ति में बहुत जल्दी ट्रांसफर होता है इसलिए इससे बचने के लिए सोशल डिस्टेंसिंग का पालन करने की सलाह दी जा जा रही है। सरकार सामाजिक दूरी बनाए रखने पर जोर दे रही है ताकि इस वायरस से बचा जा सके। यही कारण है कि पूरे देश में लॉकडाउन किया गया । कोरोनावायरस के लक्षण:-इस बिमारी के लक्षणों की बात करें तो यह
सामान्य सर्दी-जुकाम या निमोनिया जैसा होता है । इस वायरस का संक्रमण होने के बाद बुखार, जुकाम, सांस लेने में तकलीफ, नाक बहना और गले में खाराश जैसी समस्याएं होती हैं । यह वायरस एक से दूसरे व्यक्ति में ब आसानी से फैलता है इसलिए इसे लेकर बहुत सावधानी बरती जा रही है । “यह वायरस दिसम्बर में सबसे पहले चीन में सामने आया था और तब से यह
बड़ी तेजी से दूसरे देशों में भी पहुँच रहा है । करोना से बचाव के लिए कोरोना से बचाव के लिए शोशल डिस्टेंसिंग रखना जरूरी है ।
दुनिया की आबादी बहुत तेज गति से बढ़ रही है। पिछले पांच से छह “दर्शकों में विशेष रूप से मानव आबादी में जबरदस्त वृद्धि देखी गई है । उसी के कई कारण हैं । इसका एक मुख्य कारण चिकित्सा विज्ञान के क्षेत्र में विकास है जिसने मृत्यु दर में कमी लाई है । एक और कारण विशेष रूप से गरीब और विकासशील देशों में बढ़ती जन्म दर हैं। शिक्षा की कमी और परिवार नियोजन की कमी इन देशों में उच्च जन्म दर के शीर्ष कारणों में से हैं । विडंबना यह है कि जब मानव आबादी तेजी से बढ़ रही है, जानवरों और पक्षियों की आबादी दिन पर दिन कम हो रही है। अपनी जरूरतों को पूरा करने को प्रयास में मानव जंगली जानवरों के लिए आश्रय के रूप में काम करने वाले जंगलों को काट रहा है। पशु और पक्षियों की कई प्रजाजियां इसके कारण प्रभावित हुई हैं। लगातार बढ़ते ट्रैफिक और विभिन्न उद्योगों की स्थापना के कारण बढ़ता
प्रदूषण, जीवों की आबादी में कमी का एक और कारण है। ऐसा इसलिए है क्योंकि यह मौसम पर नकारात्मक प्रभाव डाल रहा है। समय आ गया है कि उच्च जनसंख्या वाले देशों की सरकारों को नियंत्रित करने के लिए कड़े कदम उठाने चाहिए, अन्यथा हमारे ग्रह मानव जाति के अस्तित्व के लिए फिट नहीं ।
(ii) शराब बंदी
मदद् निषेध से तात्पर्य है मदद् अथवा मदिरा के पिने पर रोक लगाना ।
भारत जैसे निर्धन देश में जहाँ मदिरापान करना एक विलासिता है, मदद् निषेध अत्यन्त आवश्यक है। यद्दपि मद्दपान आधुनिक समाज के लिए अनिवार्य-सा बन गया है परन्तु फिर भी इसके अनेक दुष्प्रभाव है। मद्दपान धन के अपव्यय का कारण तो बनता ही है साथ ही स्वास्थ्य का भी नाश कर दिया करता है।
यह व्यक्ति की आन्तरिक व बाहम सभी प्रकार की सुन्दरता को नष्ट कर उसे भद्दा एवं कुरूप बना दिया करता है। इतना सब होने पर भी मद्दपान करने
वाले व्यक्त इसे अमृत कहते हैं और जो इसे नहीं पीते वे ही इसे घृणा की दृष्टि से देखते हैं। मदूदपान के अनेक आदी और समर्थक बड़े गर्व तथा गौरव से मंदिरा को ‘सोमरस’ का नाम दे दिया करते है। वे कहते है कि जिस सोमरस का हमारे देवता पान करते थे यदि हमने कर लिया तो क्या बुरा किया ? परन्तु वास्तव मै वे सोमरस के वास्तविक अर्थ को जाने बिना ही इसकी हिमायत करने लगते हैं। वास्तव में सोमरस (सोम लता से प्राप्त रस) एक प्रकार का स्वास्थ्यप्रद टानिक था । मद्दपान करने वाले की आत धीरे-धीरे छीजने लगती हैं और उसे भीतर से खोखला बनाकर छोड़ देती है।
(iii) प्रदूषण की समस्या
प्रदूषण प्रदूषण का अर्थ है प्राकृतिक संतुलन में दोष पैदा होना न शुद्ध वायु मिलना, न शुद्ध जल मिलना, न शुद्ध खाद्य मिलना, न शांत वातावरण
मिलना । प्रदूषण कई प्रकार का होता है। प्रमुख प्रदूषण हैं- वायु प्रदूषण, जल प्रदूषण और ध्वनि प्रदूषण वायु प्रदूषण-महानगरों में यह प्रदूषण अधिक फैला हुआ है। वहाँ चौबीसों घंटे कल-कारखानों का धुआँ, मोटर वाहनों का काला धुआँ इस तरह फैल गया
है कि स्वस्थ वायु में साँस लेना दुर्लभ हो गया है। यह समस्या वहाँ अधिक होती है जहाँ सघन आबादी होती है और वृक्षों का अभाव होता है। जल प्रदूषण कल-कारखानों का दूषित जल नदी-नालों में मिलकर
भयंकर जल प्रदूषण पैदा करता है। बाढ़ के समय तो कारखानों का दुर्गंधित जल सब नदी-नालों में घुल-मिल जाता है। इससे अनेक बीमारियाँ पैदा होती है। ध्वनि प्रदूषण मनुष्य को रहने के लिए शांत वातावरण चाहिए। परंतु आजकल कल-कारखानों का शोर, यातायात का शोर, मोटर गाड़ियों की चिल्ल-पों, लाउडस्पीकरों की कर्णभेदक ध्वनि ने बहरेपन और तनाव को जन्म दिया है। प्रदूषणों के दुष्परिणाम-उपर्युक्त प्रदुषणों के कारण मानव के स्वस्थ
जीवन को खतरा पैदा हो गया है। खुली हवा में लंबी सांस लेने तक को तरस गया है आदमी। गंदे जल के कारण कई बीमारियाँ फसलों में चली जाती हैं। जो मनुष्य के शरीर में पहुँचकर घातक बीमारियाँ पैदा करती हैं। पर्यावरण प्रदूषण के कारण न समय पर वर्षा आती है, न सर्दी गर्मी का चक्र ठीक चलता है
सूखा, बाढ़, ओला आदि प्राकृतिक प्रकोपों का कारण भी प्रयुक्त है। प्रदूषण के कारण प्रदूषण को बढ़ाने में कल-कारखानें, वैज्ञानिक साधनों का अधिकाधिक उपयोग, फ्रिज, कूलर, वातानुकूलन, ऊर्जा संयंत्र आदि
दोषी हैं। वृक्षों को अंधाधुंध काटने से मौसम का चक्र बिगड़ा है। घनी आबादी वाले क्षेत्रों में हरियाली न होने से भी प्रदूषण बढ़ा है। प्रदूषण का निवारण विभिन्न प्रकार के प्रदूषणों से बचने के लिए चाहिए कि अधिकाधिक वृक्ष लगाए जाएँ, हरियाली की मात्रा अधिक हो । सड़कों के किनारे घने वृक्ष हों। आबादी वाले क्षेत्र खुले हों, हवादार हों, हरियाली से ओतप्रोत हों। कल-कारखानों को आबादी से दूर रखना चाहिए
और उनसे निकले प्रदूषित जल को शुद्ध करने के उपाय सोचने चाहिए।
(iv) संचार क्रांति
संचार के साधनों के माध्यम से मनुष्य ने अपनी सारी आवश्यकताओं को पूरा किया है। संचार के साधनों से मनुष्य अपनी हर आवश्यकताओं को पूरा कर दुनिया में आगे बढ़ रहा है। संसार की बढ़ती हुई जनसंख्या को देखकर संचार के साधनों की मांग बढ़ती जा रही है और पूरी दुनियाा संचार के साध नों को अपनाकर अपने सपनों को पूरा कर रही है। संचार के क्षेत्र की उपलब्धि इंसान की जिंदगी को बदलने का काम कर
रही है। अब हम बात करते हैं पहले के जमाने की पहले शहरों के लोगों को भी संचार के माध्यमों की कमी होती थी लेकिन आज भी इंटरनेट से जुड़े हुए हैं और संचार के कई साधन भी है। सभी इंटरनेट के माध्यम से हर क्षेत्र का ज्ञान ले रहे है और अपनी आवश्यकतानुसार जानकारी लेकर अपने सारे कार्यों
को आसानी से पूरा कर रहे हैं ।
(v) इंटरनेट और छात्र
विद्यार्थी जीवन में इंटरनेट (Internet) का बहुत महत्व है, इंटरनेट (Internet) अनंत संभावनाओं का साधन है जो आपको घर बैठे ही उच्च शिक्षा प्राप्त करने में आपकी सहायता कर सकता है, कंप्यूटर इस शताब्दी के प्रमुख आविष्कारों में से एक है और इंटरनेट (Internet ) के साथ यह और भी ताकतवर बन जाता है आईये जानते हैं विद्यार्थी जीवन में इंटरनेट का महत्व Vidyarthi Jeevan Google Classroom जैसे कई इंटरनेट प्रोग्राम है। जिसके माध्यम से स्टूडेंट और दीचर्स ऑनलाइन मिल सकते हैं क्लासरूप ऐप की मदद से न केवल होमवर्क का रिकार्ड रखा जा सकेगा, बल्कि इससे असाइनमेंट की तस्वीरें भी खींची जा सकती हैं। इसकी मदद से आप ड्राइंग या प्रोजेक्ट वर्क को पीडीएफ फॉरमेट में भी शेयर कर सकते हैं। अगर केई ऐसा विषय है जिसके टीचर आपके शहर में नहीं हैं तो ऐसे कई बेवसाइट है जहाँ आप अपनी पंसद के टीचर से मनपंसद विषय पढ़ सकते हैं, इंटरनेट पर ऐसे कई डिस्टेंस लर्निंग कोर्स उपलब्ध है जिन्हें आप घर बैठे ही कर सकते हैं सर्टिफिकेट भी प्राप्त कर सकते हैं । फिलहाल विद्यार्थीयों पास इंटरनेट का पावर है, जिससे विद्यार्थी कुछ भी कर सकते हैं, पलभर में कोई भी जानकारी प्राप्त कर सकते है।
(vi) नारी शिक्षा
छायावादी कवि पन्त ने तो नारी को देवी माँ सहचरि, सखी प्राण कहकर श्रद्धा सुमन अर्पित किए हैं और उन्होंने अपने शब्दों में लिखा है यत्र नार्याऽस्तु पूजयन्ते
समन्ते तत्र देवता । जैसे आदर्श उद्घोष से नारी का सम्मान किया है। नारी सृष्टि का प्रमुख उद्गम स्रोत है। नारी के अभाव में समाज की कल्पना ही नहीं की जा सकती। सृष्टि सृजन से ही नारी का अस्तित्व रहा है। देव से लेकर मानव तक नारी ही जन्मदात्री रही है। बिना नारी के पुरुष अधूरा है। नारी के अभाव में
घर घर नहीं होता । चारदीवारी से घिरा घर घर नहीं कहा जाता । नारी का प्रमुख आधार है। विश्व में नारी का महत्व क्या रहा है यह तो एक विचारणीय
विषय है । इस पर एक ग्रन्थ लिखा जा सकता है। मानव सृष्टि में पुरुष और नारी के रूप में आदि शक्ति ने दो अपूर्ण शरीरों का सृजन किया है। एक
के बिना दूसरा अपंग है। दोनों एक दूसरे के पूरक हैं अथवा समाज रूपी गाड़ी के दो पहिये हैं। पुरुष को सदैव से शक्तिशाली माना जाता रहा है और स्त्री
को अबला नारी । यही कारण है कि नारी को बेचारी अबला आदि कहकर पीछे छोड़ दिया जाता है। नारी को तो अद्धांगिनी कहा जाता है, किन्तु पुरुष
रूपी समाज का ठेकेदार अपने को अद्धग कहकर परिचय नहीं कराया गया है जो कि नारी के महत्व को कम करता है। एक प्रश्न विचारणीय है “यदि
“नारी अद्धांगिनी है तो उसका अद्धरंग कहाँ ? उत्तर में पुरुष ही समझ में आता है। जो महत्व नारी का समाज में होना चाहिए वह महत्व पुरुष समाज
नारीको नहीं मिल पाता ।
आँचल में दूध आँखों में पानी,
ओ अबला नारी तेरी यही कहानी ॥
आज के युग में नारी वर्ग को कोई सम्मान नहीं दिया गया है। आज
नारी के साथ द्रोपदी की तरह व्यवहार हो रहा है। नारी को इस संसार रूपी
जगत में कौरवों रूपी दानवों ने कुचल दिया है। उसका घोर अपमान किया
है और उसको नारी का महत्व नहीं दिया। नारी द्वापर काल से ही पीडित चली
आ रही है। मत्य और नवीन युग में आकर स्थिति और बिगड़ गई। समाज
में उसकी पीड़ा का कोई उपचार नहीं। नारी ने पुरुष की तुलना में जो अन्तर
पाया, उसी को अपनी दयनीय स्थिति का कारण मान लिया। उसके मन में
भावुकता अधिक समय तक न टिक सकी। उसने अपने को मार्ध मानने के अतिरिक्त शेष हुतलिया मानने का निश्चय कर लिया। उसने अपने शील का
परित्याग नहीं किया, किन्तु बाह्य जगत से कठोर संघर्ष करने का निश्चय कर
लिया। नारी ने कभी शील परित्याग नहीं किया, किन्तु सर्वत्र कठोर संघर्ष करने
का निश्चय कर प्राचीन काल से ही आन्दोलन करती चली आ रही है। रखना,
लोलावती, अमयार तथा गार्गी की कथायें किसी से छिपी नहीं हैं। स्व. श्रीमती
इन्दिरा गाँधी ने सिद्ध कर दिया कि आज भी नारी सब प्रकार से पूर्ण
शक्तिशाली है, किसी पुरुष से कम नहीं ।
2. निम्नलिखित में से किन्हीं दो अवतरणों की सप्रसंग व्याख्या करें :-
(क) “सच है, जब तक मनुष्य बोलता नहीं
तब तक उसका गुण-दोष प्रकट नहीं होता । “
(ख) “जादू टूटता है उषा का अब सूर्योदय हो रहा है। “
(ग) “पूरब पश्चिम से आते हैं
नंगे बूचे नरकंकाल
सिंहासन पर बैठा, उनके
तमगे कौन लगाता है ।”
(घ) “फिर भी कोई कुछ न कर सका
छिन ही गया खिलौना मेरा
मैं असहाय विवश बैठी ही
रही उठ गया छौना मेरा । “
उत्तर- (क) प्रस्तुत व्याख्येय पंक्तियाँ हमारे पाठ्यपुस्तक दिंगत भाग-2
के बालकृष्ण भट्ट रचित निबन्ध ‘बातचीत’ से ली गयी हैं लेखक इस निबन्ध
के माध्यम से यह बताना चाहता है कि बातचीत ही एक विशेष तरीका होता
है जिसके कारण मनुष्य आपस में प्रेम से बातें कर उसका आनन्द उठाते हैं
। परन्तु मनुष्य जब वाचाल हो जाता है अथवा बातचीत के दौरान अपने आप
पर काबू नहीं रख पाता है तो वह ‘दोष है, परन्तु जब वह बड़ी सजींदगी से
सलीके से बातचीत करता है तो वह गुण है । मनुष्य के मूक रहने के कारण
उसको चरित्र का कुछ पता नहीं चलता है परन्तु वह जैसे ही कुछ बोलता है।
तो उसकी वाणी के माध्यम से गुण-दोष प्रकट होने लगते हैं। जब दो आदमी
साथ बातचीत करते हैं तो दोनों अपने दिल एक-दूसरे के सामने खोलते हैं ।
इस खुलेपन में किसी की शिकायत, किसी की अच्छाई किसी की बुराई होती.
है और इससे व्यक्ति का गुण-दोष प्रकट हो जाता है। वेन जॉनसन इस संदर्भ
में कहते हैं कि बोलने से मनुष्य का साक्षात्कार होता है, उसकी पहचान सामने
आती है। यहाँ आदमी की अपनी जिन्दगी मजेदार बनाने के लिए खाने-पीने
चलने-फिरने आदि की जरूरत होती है। वहाँ बातचीत की अत्यन्त आवश्यकता
हैं जहाँ कुछ मवाद (गंदगी) या धुआँ जमा रहता यह बातचीत के जरिए
भाप बनकर बाहर निकल पड़ता है। कहने का आशय यह है कि मनुष्य के
मन के अन्दर बहुत भी परतें जमीं रहती हैं जिनमें कुछ अच्छी और कुछ बुरी
होती हैं और यह बातचीत के दौरान हमारी जिह्वा (विचार) से प्रकट हो जाता
है। अतः बोलने से ही मनुष्य के गुण-दोष की पहचान होती है ।
(ख) शमशेर बहादुर सिंह आधुनिक हिन्दी कविता में स्वच्छन्द चेतना
के प्रयोगधर्मी कवि हैं। प्रस्तुत पद्यांश शमशेर बहादुर की कविता ‘उषा’ से
उद्धृत है। कविता की इन अन्तिम पंक्तियों के माध्यम से उषा काल की
मनोरमता का चित्रण है।
व्याख्येय पंक्तियों में उषा का मानवीकरण करते हुए उसे जादूगरनी के
रूप में अभिव्यक्ति दी गई है। प्रभात काल के पूर्व का दृश्य लेखक के अनुसार
जादू
के समान सम्मोहक है, जब पल-पल दृश्य परिवर्तन होता है। सुर्योदय
होते ही ऐसा लगता है मानो जादू टूट गया।
प्रस्तुत कविता छायावादी शैली का आभास कराती है। कविता में
आलंकारिक प्रयोग और कौतूहल है। प्रभात काल के पूर्व का दृश्य रम्य, रोचक और कौतुहुलबर्द्धक होता भी है। प्रस्तुत पंक्तियों में रम्य प्रकृति चित्रण की
नवीकरण की शैली में गथार्थ और कोमल अभिव्यक्ति है।
(ग) प्रस्तुत पद्यांश हमारे पाठ्यपुस्तक दिगंत भाग-2 के रघुवीर सहाय
विरचित ‘अधिनायक’ शीर्षक कविता से लिया गया है। इसमें कवि ने सत्तावर्ग
के द्वारा जनता के शोषण का जिक्र किया है। यह एक व्यंग्य कविता है ।
कवि के अनुसार राष्ट्रीय त्योहारों के अवसर पर सभी दिशाओं से जो
जनता आती है वह नंगे पांव है। वह इतनी गरीब है कि केवल नरकंकाल का
रूप हो गयी है। उसकी गाढ़ी कमाई का बहुत बड़ा हिस्सा सिंहासन पर बैठा
जनप्रतिनिधि हड़प लेता है। गरीब जनता के पैसे से ही वह मेडल पहनता है
। मंच पर फूलों की माला पहनता है। वह राज सत्ता का भोग करता है। शेष
जनता गरीबी को मार से परेशान है ।
कवि रघुवीर सहाय ने उक्त पंक्तियों में सत्ता वर्ग के तानाशाहों का
व्यंग्यात्मक चित्रण बड़े ही मार्मिक ढंग से प्रस्तुत किया है। स्वतंत्र देश की
यह दुर्दशा राजनेताओं की ही देन है। वे स्वयं राज-योग में लिप्त हैं और जनता
गरीबी और लाचारी की मार झेल रही है ।
(घ) कवयित्री कहती है कि उसके द्वारा की गई पूजा-अर्चना और माँगी
गई दुआएँ भी उसके पुत्र को नहीं बचा सकी । कोई कुछ भी नहीं कर सका
और उसका पुत्र असमय मृत्यु को प्राप्त हो गया। एक माँ का खिलौना उससे
छिन गया और वह असहाय तथा विवश होकर बैठी रह गई। सकी आँखों
से सामने ही उसका प्यारा पुत्र भगवान को प्यार हो गया । पुत्र वियोग में तड़पती माँ कहती है कि इस असह्य कष्ट को उसका हृदय
तड़प-तड़पकरें सह रहा है। इसे पुत्र की मृत्यु के बाद से पल भर के लिए
शान्ति नहीं मिल सकी है । एक विवश माँ यह भी जानती है कि उसका जो
अनमोल धन (पुत्र) खो गया है, उसे वह वापस नहीं पा सकती है। इस बात
में जरा भी संदेह की गुजाइश नहीं है।
विशेष- (i) मृत्यु एक अटल सत्य है और इसे नकारा नहीं जा सकता है
यह भाव व्यक्त किया गया है ।
(ii) पुत्र वियोग में व्याकुल एक माँ के हृदय की पीड़ा का हृदयस्पर्शी चित्रण है।
(iii) ‘कोई कुछ ने कर सका’ में अनुप्रास अलंकार है।.
(iv) पुत्र के लिए खिलौना’, “छौना, ‘धन’ आदि उपमाों के प्रयोग से
भाषा सौन्दय में वृद्धि हुई है ।
“(v) छंदबद्ध काव्यांश में करुण रस की उद्भावना हुई है ।
(vi) भाषा सरल, सहज, हृदयस्पर्शी, तत्सम शब्दों से युक्त तथा भावों को
अभिव्यक्त करने में सफल है ।
3. अपने महाविद्यालय के प्रधानाचार्य के पास एक आवेदन पत्र लिखें
जिसमें महाविद्यालय में कोरोना रोक थाम शिविर लगाने के लिए
निवेदन किया गया हो ।
अथवा, अपने मुहल्ले की सफाई के लिए नगरपालिका को शिकायती
पत्र लिखिए ।
उत्तर- परीक्षा भवन, पटना 7 जनवरी, 2020
प्रधानाचार्य,
वर्ल्ड स्कूल, पटना
विषय- कोरोना रोक थाम संदेश का अभिनंदन
,
पर्यावरण के प्रभाव में वृद्धि हुई है। देश-विदेश
में करोड़ों लोगों की मृत्यु हो गई तथा कई लोगों की इसकी वजह से अनेक
समस्याओं को झेलने पड़ीं।
चेतावनी भी सतर्क नहीं है। मैं आपसे अतः
निवेदन करना चाहता हूँ कि आप इसके प्रति जागरूकता फैलाने हेतु हमारे
विद्यालय में एक शिविर लगवाएँ मैं इसके लिए आपका अभारी रहूँगा।
आज्ञाकारी विद्यार्थी
……………………….
अथवा,
सेवा में,
स्वास्थ्य अधिकारी,
दिल्ली नगर, दिल्ली।
विषय:- मोहल्ले की सफाई के लिए नगर निगम को
श्रीमान,
हम आपका ध्यान मोहल्ले की सफाई संबंधी दुर्व्यवस्था की ओर खींचना चाहते हैं। आपको यह जानकर आश्चर्य होगा कि हमारे मोल्ले में सफाई हेतु नगर निगम का कोई सफाई कर्मचारी पिछले 10 दिनों से काम पर नहीं आ रहा है। घरों की सफाई करने वाले कर्मचारियों ने भी मोहल्ले में स्थान स्थान पर गंदगी और कूड़े-कर्कट के ढेर लग दिए हैं। इसका कारण संभवत: यह भी है कि आसपास कूड़-कर्कट तथा गंदगी डालने के लिए कोई निश्चित स्थान नहीं है ।
वर्षा पांच-सात दिनों में प्रारम्भ हो जाएगी। यथासमय मोहल्ले की सफाई ना होने पर मोहल्ले की दुर्व्यवस्था का अनुमान लगाना कठिन है । अतः आपसे । हम मोहल्ले वालों का निवेदन है कि आप यथशीघ्र मोहल्ले का निरीक्षण करें तथा सफाई का नियमित प्रबंध करवाएं, अन्यथा मोहल्लावासियों के स्वास्थ्य पर उसका कुप्रभाव पड़ने की आशंका है ।। आप की ओर से उचित कार्यवाही के लिए हम प्रतीक्षारत हैं ।
‘प्रवासी
बेस्ट नगर ‘
ब्लॉ के-डी के
4. निम्नांकित प्रश्नों में से किन्हीं पाँच के उत्तर दें-
(i) नूतन विश्व का निर्माण कैसे हो सकता है ?
(ii) शिक्षा का अर्थ क्या है?
(iii) लोहा क्या है ?
(iv) बन्दी मुट्ठियों का क्या ‘
संगठन (v) चौर और मन प्रश्न हैं ?
(vi) जीवन क्या है ?
(vii) भगत सिंह क्यू 26
(viii) हिन्दी का श्रेष्ठतम महाविद्य है
(ix) फिर भी मेम के बाग में क्या-क्या था
(x) कबीर ने ख्यात को बेहतर कहा है?
उत्तर- (i) आज सम्पूर्ण विश्व में महत्त्वाकांक्षा तथा प्रतिस्पर्धा के कारण अराजकता फैली हुई है। विश्व के सभी देश पतन की ओर अग्रसर है। इसे रोकना मानव समाज के लिए एक चुनौती है। इस चुनौती का प्रत्युत्तर पूर्णता से तभी दिया जा सकता है जब हम अभय हों, हम एक हिन्दू या एक साम्यवादी या एक पूँजीपति की भाँति न सोचें अपितु एक समग्र मानव की भाँति इस समस्या का हल खोजने का प्रयत्न करें। हम इस समस्या का हल तब तक नहीं खोज सकते हैं जब तक कि हम स्वयं सम्पूर्ण समाज के खिलाफ क्रान्ति नहीं करते, इस महत्वाकांक्षा के खिलाफ विद्रोह नहीं करते जिस पर सम्पूर्ण मानव समाज आधारित है। जब हम स्वयं महत्वाकांक्षी न हों, परिग्रही न हों एवं अपनी ही सुरक्षा से न चिपके हों, तभी हम इस चुनौती का प्रत्युत्तर दे सकेंगे। तभी हम नूतन विश्व का निर्माण कर सकेंगे ।
(ii) अनेक विद्वानों ने विभिन्न प्रकारों से शिक्षा की परिभाषा है। समय के साथ-साथ शिक्षा की परिभाषा भी बदलती रहती है। वैदिक काल में शिक्षा सर्वांगीण विकास का एक अंग था, मध्यकाल में शिक्षा का अर्थ संकुचित हुआ वह धर्म से जुड़ गया । आधुनिक युग में शिक्षा का उद्देश्य सर्वांगीण विकास की ओर बढ़ता जा रहा है|